Monday 18 January 2010

कल बैठ कर सोच रहा था,
मरते बच्चो के दिल का हाल खोज रहा था|

मरते वक़्त रोते तोह बहुत होंगे वो,
शायद आपने नसीब को कोसते होंगे वो|

Education के क्रेज़े को Percentage की रेस में बदल डाला,
कल के भगत सिंह को बन्नेसे पहले ही शहीद ने कोमल|

School Bag के बोज ने कोमल कंधो को ज़ुका दिया,
हमने उससे वेअक बोनस कहकर कैल्सियम संदोज़ दिखा दिया|

शिकायत भी हम करते उनसे:
बेटा tution sports बन सकता था वो सब करवाया,
फिर भी फिर भी तू अवल क्यूँ आया|

उनकी रूह भी ऊपर से जवाब देती होगी:
पापा भोज चाहा वो सब दिलवाया,
पर क्या कभी पास बैठा कर हव करवाया|

रिशवत



दसवी
के रिजल्ट आने को थे,
ख़ुशी के दिन ख़तम होने को थे |

पेपर में आपना डब्बा गुल था,
सबसे पीछे आपना नंबर था|

पिताजी ने पैसो का झोर चलाया,
रिशवत दे कर आपना नंबर बढ़वाया|

अची कॉलेज में दाखला था पाना,
फॉर्म भरे बिना अद्मिन्सिओन करवाना|

वह चलता है बस पैसो का झोर,
पढाई में चाहे हो कितने भी कमझोर|

जैसे - तैसे बी - कॉम ख़तम किया,
इसलिए पापा ने नै ऑफिस का इनोगुरतिओन किया|

सब तोह हुआ,
पर बिज़नस करने किसको आया,
रिशवत देकर टेंडर पास करवाया|

आब आई मेरी शादी की बारी,
कनिया देखि साड़ी कुवारी|

जो कनिया मुझे पसंद आये,
उससे कुंडली नही मिल पाए|

जोतिश को १०० की नोट दिखाई,
३२ गुण से हमारी कुंडली मिलवाई|

उसे लेकर महालक्ष्मी मंदिर गया,
लम्बी लाइन देखकर चक्कर गया|

थोडा सोच विचार कर एक युवती सुजाई,
१००० की नोट हवा में लहराई|

पैसे देव्ताने चमत्कार दिखाया,
पुजारी सामने से लेने आया|

अब यह दिन दूर नही,
जब यमराज भी रिश्वात लेंगे|

जो रिश्वात देगे वोह स्वर्ग में जायेंगे,
जी नही देंगे उसे नरक ले जायेंगे|

कब तक मेरी सुनकर हसोके,
कभी कभी तुम भी इस जाल में फसोके|

इससे बचने का प्रबंध आभी से शुरू करना,
खुद सचेत होकर दुस्रोको भी सचेत कर|